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An Undertaking of S.D.College (Lahore) Ambala Cantt

२१अगस्त २०१८ को सनातन धर्म

(वेदव्यास.संस्कृत की पुनःसंरचना योजना के अधीन)
Dept of Sanskrit, S D College, Ambala Cantt.
आज संस्कृत विभाग तथा सनातन धर्म मानव विकास शोध एवं प्रशिक्षण केन्द्र, अम्बाला कैंट* के द्वारा नवीन वार्षिक सत्र 2018-19 में बीए प्रथम वर्ष के संस्कृत छात्रों के लिये अभिसंस्करण (orientation) उत्सव मनाया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सोमेश्वर दत्त ने की । डॉ. सोमेश्वर दत्त ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में छात्रों को सम्बोधित करते हुये कहा कि संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है। संस्कृत एक संस्कृति है एक संस्कार है संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है, वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना है। सोमेश्वर जी ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार संस्कृत के संवर्धन के लिये प्रतिबद्ध है, और संस्कृत के छात्रों को हर प्रकार की शैक्षिक तथा आर्थिक सहायता देने में तत्पर है। डॉ. आशुतोष ने बताया कि संस्कृत विभाग संस्कृत के क्षेत्र में नये कार्य करने के लिये प्रयासरत है, जिसमें संस्कृत को दैनिक जीवन में कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है, तथा संस्कॄत के प्रायौगिक पक्ष को संसार के समक्ष प्रस्तुत करने के लिये संस्कृत विभाग अहर्निश कार्यरत है। उन्होंनें ने कहा कि जल्द ही संस्कृत के छात्रों के लिये Personality Development, Ayurveda, Health Astrology और Computational Sanskrit आदि विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा । जिससे भारतीय संस्कृति के समृद्ध पक्ष के प्रति छात्रों का ज्ञान बढे और वह अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर भविष्य में अपने जीवन को सही गति प्रदान कर सके । तत्पश्चात् डॉ. उमा शर्मा ने कहा कि संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा भी है, अतः इसका नाम संस्कृत है। केवल संस्कृत ही एकमात्र भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है। संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि पाणिनी, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है। *डॉ. गौरव शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि संस्कृत ही एक मात्र साधन हैं जो क्रमश: अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं। इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान आदि अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है। संस्कृत छात्रों न केवल आध्यात्मिक रूप से अपितु भौतिक जीवन में भी मनुष्य को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिये तैयार करती है। संस्कृत व्यक्ति के व्यवहार, विचार और कर्म को एक नवीन दिशा की ओर अग्रसर करती है।

२१अगस्त २०१८ को सनातन धर्म महाविद्यालय अम्बाला छावनी में नव सत्र के शुभारम्भ पर सनातक प्रथम वर्ष के संस्कृत विषय के छात्रों के साथ संवाद करने का अवसर मिला | बहुत ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के छात्र हैं ऐसा ध्यान में आया |
इस वर्ष बहुत समय बाद छात्रों की इतनी अधिक संख्या हुई है | इस के लिये महाविद्यालय के गुरुजन डॉ. आशुतोष आङ्गिरस ,डॉ.उमा शर्मा तथा डॉ. गौरव विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं |

Regards
Ashutosh Angiras