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An Undertaking of S.D.College (Lahore) Ambala Cantt

“Under the VedaVyaasa Restructuring Sanskrit Scheme”, Depts. of Sanskrit & SDHDR&T Center of S D College, Ambala Cantt cordially invite you to 2hrs  Interdisciplinary Discussion on 9thFebruary, 2019, Saturday at 12.00 noon in dept of Sanskrit on the topic – “NATURE OF KNOWLEDGE & ITS PRACTICES IN MYTHICAL & SYMBOLIC LANGUAGES” “मिथकीय एवम् प्रतीक भाषाओं में ज्ञान का स्वरूप एवम् व्यवहार”

यह परिचर्चा क्यों अपेक्षित है – ज्ञान के सम्बन्ध और सन्दर्भ में अनेकानेक संशय हैं , जैसे कि ज्ञान शब्द का अर्थ क्या है. ज्ञान एक है या अनेक, वस्तु-ज्ञान और बौद्धिक-ज्ञान का सम्बन्ध कैसे परिभाषित होता है, भाषागत ज्ञान और आनुभविक ज्ञान में क्या अन्तर है, क्या सभी मनुष्यों के भीतर ज्ञान एक है और यदि एक है तो वस्तुओं के प्रति व्यवहार अलग अलग या भिन्न क्यों हैं, अनन्त का ज्ञान कैसे होता है या यह एक शब्द मात्र है, ज्ञान, बोध, समझ क्या एक ही हैं, व्यक्ति-निष्ठ और समाज-निष्ठ ज्ञान की सीमाएं क्या हैं, ज्ञान में भावी (भविष्यकालिक)  सम्भावनाएं क्या हैं, क्या ज्ञान व्यक्ति के अनुभवात्मक तथ्यों की अभिव्यक्ति मात्र होता है या भिन्न होता है या क्या वास्तव में ज्ञान में किसी प्रकार की नवीनता सम्भव है क्योंकि जो अनुभवों का डाटा व्यक्ति में रहता वह मात्र उसी को तो प्रकट कर सकता है , उससे भिन्न किसका और कैसा ज्ञान सम्भव है,  ज्ञान, व्यवहार और चेतना  आदि आदि अनेक प्रश्न हैं जिनके उत्तर देने के लिए मिथकीय एवम् प्रतीक भाषाओं की सहायता अपेक्षित है क्योंकि मिथकीय भाषा अधिक नाम-रूप-गुण वाली होती है और प्रतीक भाषा मात्र तथ्यात्मक होती है, जैसे कि शिव और पार्वती आदि मिथकीय-भाषा का उदाहरण है जबकि पुरुष एवम् प्रकृति  प्रतीक-भाषा के उदाहरण हैं परन्तु दोनों ही दो तत्त्वों का ज्ञान उपलब्ध कराते हैं- तो ऐसी स्थिति में आवश्यक हो जाता है कि भाषा और ज्ञान के सम्बन्ध का विश्लेषण किया जाए और अपनी समझ / बोध को विकसित करने का प्रयास किया जाए।

आपके ज्ञान की संस्कृत विभाग को सादर अपेक्षा है।?

Regards
Ashutosh Angiras,

Dr. Rajinder Singh, Principal cum Patron